Sad Love Poem In Hindi
Sad Love Poem In Hindi
हा तुम मेरे नशे मै चूर हो जाया करती थी

हा था मैं तुम्हारे पास जैसे कोई नही था..
तुम मेरे नशे मै चूर हो जाया करती थी..
हा तुम मेरी खुशबू से बहक जाया करती थी..
तुम मुझसे बहुत प्यार किया करती थी..
पता है सब मुझे..
पर अब क्या??
अब कैसे तुम्हे अच्छा लगता है किसीं और के साथ कॉफी पिना?
अब कैसे आ गया तुम्हे मेरे बगैर जिना?
मैं तो वैसा ही रेह गया..
तेरे बगैर ही सब कुछ सेह गया..
अब तुम हस कर कविता पढ रही हो..
कामयाबी की नयी सिढिया चढ रही हो..
शायद ये हसी मेरी देन है..
पर सबकुछ तुम्हे देकर भी,
इस दिल को कहा चैन है?
तुम चांद के तरफ देख के,
मेरी तरफ देखा करती थी..
ये उस वक्त की बात है
जब तुम मुझे खोने के
खयाल भर से भी डरती थी…
अब तेरा हर एक खयाल मुझे सताता है,
पर अब तुम्हे स्टारबक्स वाला भाता है…
पर मेरा क्या??
अब भी सुनी राह सा तन्हा मेरा दिल है..
अब भी तेरा खयाल इसकी एक ही मंजिल है..
खैर..
आप नही समझोगी अब आप शायर जो बन गयी,
शायर अब हम भी बन गये
फर्क इतना है के हमारी निंदे छीन गयी…
sad love poem in hindi for girlfriend

कब तक दूर दराज रहोगे
परसों कल और आज रहोगे
चलो मैने ही हार मान ली
यूँ कब तक नाराज रहोगे।
मुझसे रूठ के खुद तरसोगे
जलसे का मोहताज रहोगे
नोक – झोंक मनुहार से परे
खुश्क और उम्रदराज रहोगे।
खफा खफा से खिचे खिचे से
मलिन,क्लान्त,नासाज रहोगे
मान भी जाओ रफीके हयात
कब तक नजरअंदाज रहोगे।
मुहब्बत की तासीर नरम है
तन्हा, तुनकमिजाज रहोगे
गिरने का भी खतरा रहता है
कब तक पतंग फराज रहोगे।
तुम तो मेरे माहताब हो
क्योंकर उष्ण सिराज रहोगे
मेरे मन मंदिर का पत्थर
तुम ही पाक मिराज रहोगे।
sad lonely poem in hindi

तुमको क्या सोचा था और तुम क्या निकले
बहत बुरा समझी थी पर बहुत अच्छा निकले
मेरे दीवानों ने ही फैलायी थी गलतफहमी
दरहकीकत तुम दर्द-ए-दिल की दवा निकले।
आईना भी मुझसे फरेब ही करता रहा था
जब भी देखा तुझे शीशे में धुंधला निकले
अपने चेहरे पे जमी जब धूल,गर्द साफ की
सच बताऊँ दोस्त, खुद ही बेवफा निकले।
दिल में दिमाग रखके लोग प्यार से लूटते हैं
चेहरे पे कई चेहरे,मुखौटे पे मुखौटा निकले
महफिल की रंगीनियों से जब जी भर गया
दिल का फिर तेरे दर के सिम्त रास्ता निकले।
चारों तरफ भीड़ में तेरा ही अक्स उभरा था
जब भी ख्याल आया कि पैरों से काँटा निकले
वैसे तो पूरा कारवां मेरे साथ चल रहा था,पर तूफां में भी कस्ती के तुम ही रहनुमा निकले।
मुद्दतों बाद आज फिर खोला पुराने बक्सों को
कुछ वफा के सबूत तो कुछ जख्म हरा निकले
ये मैंने क्या कर डाला या खुदा,एक हूक उठी
जुबां से अपने आप ही “हाय अल्लाह” निकले।
sad love story poem in hindi
भुलाना चहता हु तुझे लेकिन तुजे यार किया बीना री भी कह पाता हु … रोना चहाता हू बोहुत लेकिन सखत लोंडे के नाम पे रो भी काटा पाटा हु ….. काहना चाता हुउ बुच कुच्छ तुझसे लेकेन काहे को भी देख लेता।
अब उसके कॉल आने की कोई उम्मीद नहीं थी
पर जाने क्या सोचकर नंबर नहीं बदला मैंने
तेरे बिना मुमकिन नहीं था जीना,
मगर मजबुर हुँ…..
मर भी कहाँ पाती हुँ।